के सत्यवादी भयौ ?

सीता पार्वतिशक्ति द्रौपदि सबै हाम्ले दियौं भारत
माहादेव गणेश कार्तिक दियौं हे विष्णु हे नारद।।
दुर्गा बुद्ध वेद व्यास जनकै जन्मे नि नेपालमा
नेपालै पुजियो पुराण युगमा त्यो भारताकासमा।।
 
कासीनाथ गया पवित्र धरणी नेपालकै दान हो
ज्ञानीको तप धर्म कर्म थल यो,भोपाल नेपाल हो।।
योगाको सुरुवात त्यो शिवपुरी रारा र धौलागिरी
लेखूँ भारत काव्य प्रेम कसरी पानी जवानी भुली।।
 
त्यो कोशी लिपुलेक गण्डक दियौं विश्वासको डोरमा
सारा भारतकै भनेर लुटने हौ चोर संसारमा।।
चाहे कश्मिर युद्ध सङ्कट परे गोर्खा लडे साथमा
तिम्रो मिट्टी वचावहेतु डटिने त्यै चीन लद्दाकमा।।
 
सेता वस्त्रहरु भिरेर तनमा माहान को हुन्छ र ?
ओढेरै शल घ्यू पिएर मह त्यो खै सन्त को बन्छ र ??
हाम्रो अर्जुन पाणिनी सब लगिस् दुर्योर्धनी भारत
पापीको मन जान्न के सकिनु खै भन्छन् रुदै नारद।।
 
तिम्ले जात विभेद राक्षस रची रच्यौ महाभारत
धन्नै व्यास गुरु बनाउन पुगे भाग्वत् महासागर।।
प्यारा सार भुलेर प्रेम महिमा के सत्यवादी भयौ ?
कालो कर्तुत रङ्गमंच हुनुले के धर्मवादी भयौ।।